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गुरुवार, 13 अक्तूबर 2016

Ek baar aavo ni jawai ji pawna

१. एक बार आवो नी जवाई जी पावणा
थाने सासु जी बुलावे घर आज, जवाईं लाड करां

२. सासु जी ने मालुम होवे म्हारे भाई आज होयो
म्हारे घरां भी मोकळो काम, सासु जी म्हाने माफ़ करो

३. एक बार आवो नी जवाई जी पावणा
थाने सुसरो जी बुलावे घर आज, जवाईं लाड करां

सुसरो जी मालुम होवे , म्हारो बाप शहर गयो,
म्हारे घरां लारलो काम, सुसरो जी म्हाने माफ़ करो

४. एक बार आवो नी जवाई जी पावणा
थाने बुआ जी बुलावे घर आज, जवाईं लाड करां

बुआ जी ने मालुम होवे, म्हारा भी बुआ जी आया
बुआ सासु जी ने जोड़ू ला मैं हाथ, अबके म्हाने माफ़ करो

५. एक बार आवो नी जवाई जी पावणा
थाने साली जी बुलावे घर आज, जवाईं लाड करां

साली जी ने मालुम होवे, साढू जी ने भेजू हूँ
म्हारा साढू जी नाचे ला सारी रात, साली जी महान माफ़ करां








रविवार, 17 अप्रैल 2016

मोरिया आछो बोल्यो रे

मोरिया आछो बोल्यो रे ढळती रात में - २
म्हारे हिवड़े में बहगी रे कटार
मोरिया आछो बोल्यो रे ढळती रात में

डावडी मैं तो बोल्यो रे म्हारी मौज में
थारे किण विध बहगी रे कटार डावडी
मैं तो बोल्यो रे म्हारी मौज में

मोरिया पीहू पीहू की वाणी छोड़ दे
म्हारा पीव जी बसे परदेस मोरिया
पीहू पीहू की वाणी छोड़ दे

डावडी पीहू पीहू की वाणी बोल स्यूं
म्हारे मौज उठे दिन रात डावडी
पीहू पीहू की वाणी बोल स्यूं

मोरिया थारे बागां में काई काई नीपजे
ज्यां में आवे रे, सुगन्धि बास मोरिया
थारे बागां में काई काई नीपजे

मोरनी, म्हारे बागां में मरवो कवडो
जीकी आवे रे, सुगन्धि बास मोरनी
म्हारे बागां में मरवो कवडो





नैणा रा लोभी

अजी हाँ सा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजे सा 
नैणा रा लोभी कीकर आऊं सा - २ 

अजी हाँ सा म्हारी सासु सूती है, ननदल जागे सा 
नैणा रा लोभी कीकर आऊं सा - २ 

अजी हाँ सा म्हारी जेठाणी सूती, देवराणी जागे सा 
नैणा रा लोभी कीकर आऊं सा - २

अजी हाँ सा म्हे तो आऊं, कि पाछी फिर फिर जाऊं 
नैणा रा लोभी कीकर आऊं सा - २

अजी हाँ सा म्हारो नानो देवरियो उभो झांके सा 
पडोसन झाला देवे, मैं कईयां आऊं सा 

अजी हाँ सा म्हारी रुणक झुणक पायल बाजे सा 
नैणा रा लोभी कीकर आऊं सा - २ 




कानूड़ा लाल घडलो म्हारो

कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रे - २ 
भर दे, ऊंचा दे, सर पर धर दे रे - २ 
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रे

तू मत जाणी कान्हा, आई मैं अकेली 
सात सहेलियां म्हारे संग छे रे 
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रे

तू मत जाणी कान्हा, दूर गाँव की 
बरसाने म्हारो घर छे रे 
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रे

तू मत जाणी कान्हा, अकन कंवारी 
श्री कृष्ण म्हारो वर छे रे 
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रे

कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रे - २ 
भर दे, ऊंचा दे, सर पर धर दे रे - २ 
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रे



कागलिया गेरो गेरो बोले

कागलिया, गेरो गेरो बोले नी रे - २ 
म्हारो परवानो बातलियो परदेस 
परदेसिड़ा ओलु थारी आवेनी रे 

कागलिया बाग़ तो लगा दियो रे - २ 
म्हारा बागां में घुमणियो परदेस 
परदेसिड़ा ओलु थारी आवेनी रे

कागलिया, हौद तो बनाय लिया रे 
म्हारा होदां में नहावणीयो परदेस 
परदेसिड़ा ओलु थारी आवेनी रे

कागलिया, महल तो बणा दिया रे 
म्हारा महलां में सोवणीयो परदेस 
परदेसिड़ा ओलु थारी आवेनी रे






सोमवार, 28 मार्च 2016

पोस्टमैन

ओ दे गयो कागद पोस्टमैन, म्हारा पीव घर आसी जी
आ शरद पूनम की रात चांदनी रंग बरसा सी जी

पतला पतला फलका पोस्यूँ, उजळी रान्धू खीर - २
आँगन बैठ जिमास्यूं म्हारी नणदल बाई रो बीर
म्हारे मन री बात सुणास्यूं जद म्हाने गले लगासी जी
आ शरद पूनम की रात चांदनी रंग बरसा सी जी

काजल टीकी लगाके करस्यूँ मैं सोळा सिणगार - २
बाट जोवते आंख्यां थकगी कद आसी भरतार
म्हारा मेहँदी राच्या हाथ सजन ने घणा सुहासी जी
आ शरद पूनम की रात चांदनी रंग बरसा सी जी

सावन बीते फागण जावे, बीता तीज त्यौहार - २ 
घणी अडिकी जद यो आयो मिलबा को त्यौहार 
ओ रंगां को त्यौहार सजन म्हारे रंग रंग जासी जी 
आ शरद पूनम की रात चांदनी रंग बरसा सी जी







रविवार, 20 मार्च 2016

जळ जमना रो

जळ जमना रो पाणी कइया ल्याऊं ओ रसिया
पतली कमर म्हारी लुळ लुळ जाय - २

छोटोड़ी नणद म्हारी पाणी कोणी लावे
बां घरां बैठी हुकम चलावे ओ रसिया
पतली कमर म्हारी लुळ लुळ जाय - २

सर पर घड़लो घड़े पर मटकी
मटकी ऊपर कलसो कोनी चाले ओ रसिया
पतली कमर म्हारी लुळ लुळ जाय - २

ऊँची ऊँची पाळ घड़ो कोनी डूबे
बीच में जाऊं तो डर लागे ओ रसिया
पतली कमर म्हारी लुळ लुळ जाय - २

चाँद चढ्यो गिगनार

चाँद चढ्यो गिगनार किरप्या, ढल आई आधी रात पीव जी 
अब तो घरां पधार, मारुणी थारी बिलखे छे जी बिलखे छे 

हाथां मेहँदी राचणी कोई, नैणा काजल सारयो जी 
ले दिवलो चढ़गी चौबारे, मरुवन पलंग संवारयो जी 
बैठी मनड़ो गौरी का, आया नहीं भरतार 
मारुणी थारी बिलखे छे जी बिलखे छे

ज्यूँ ज्यूँ तेल बले दिवले में, धण बाती सरकावे जी 
नहीं आयो मद चखियो रसियो, दिवलो नाड़ हिलावे जी 
दिवले सूं झुँझलाय गौरी, दिवलो दियो बुझाय 
मारुणी थारी बिलखे छे जी बिलखे छे

सिसक सिसक कर गौरी रोवे, तकियों काळो करियो जी 
उगते सूरज रसियो आयो, हाथ पीठ पर धरियो जी 
कठे बिताई सारी रात थाने, उग आयो प्रभात 
मारुणी थारी बिलखे छे जी बिलखे छे

हाथ छिटक कर गौरी बोली, अब क्यों घरां पधारया जी 
सौतन के संग रात बिताई, कर कर कोढ़ सवाया जी 
कठे बिताई सारी रात थे तो कर दी नी परभात 
मारुणी थारी बिलखे छे जी बिलखे छे

ऊक चूक मत बोलो गौरी, मत ना देवो ताना जी 
साथीड़ां संग रात बिताई, खेल्या चोपड़ पासा जी,
बठे बिताई सारी रात म्हाने, उग आयो परभात 
गौरी मुस्काओ जी मुस्काओ जी 

चंदो गयो सिधार देखो, उग आयो परभात 
म्हारा अब आया भरतार, मनड़ो मुळके छे जी मुळके 





गुरुवार, 10 मार्च 2016

पल्लो लटके

पल्लो लटके रे म्हारो, पल्लो लटके - २ 
जरा सो - ३, टेढ़ो हो जा बालमा म्हारो पल्लो लटके 

पल्लो लटके गौरी रो, पल्लो लटके - २ 
ज़रा सो - ३, ऊंचो ले ले गौरी पल्लो भीग जावे लो 

लाल मंगायो पोमचो जी, हरी लगाई कोर - २ 
अंगिया रेसम काटके, देदी दादर पे मोर 
जरा सो - ३, टेढ़ो हो जा बालमा म्हारो पल्लो लटके 

घूँघट में बिजल्यां चमकावे गौरी थारी आँख - २ 
मत जोबन में आंधी हो री निचे ने तो झाँक 
ज़रा सो - ३, ऊंचो ले ले गौरी पल्लो भीग जावे लो

लहंगों घेर घुमेर म्हारी चुनड़ गोटेदार - २
छम छम करती चालूं म्हारे पल्ले ने फटकार 
जरा सो - ३, टेढ़ो हो जा बालमा म्हारो पल्लो लटके

सौ मोहरा की अंगिया थारी, लाख मोहर को लहंगो - २
ज्यादा ऊंचो मत कर लीजे नहीं पड़ेगो महँगो 
ज़रा सो - ३, ऊंचो ले ले गौरी पल्लो भीग जावे लो




बालम छोटो सो

सात बरस को मेघूड़ो - २
छब्बीसों ढल रही नार, बालम छोटो सो
छोटो तो मोटो गौरी मत ना करो - २
कोई राख मरद री लाज, मोटो होई जासी

बाजारां में जातां ढोलो हठ पकड्यो - २
म्हाने झुणझुणीयो दिला दे घरनार बालम छोटो सो

झुणझुणीयो दिलासी थारा मायर बाप - २
म्हारी काया मत बालो भरतार जाता बालम छोटो सो

हलवायां के जातां ढोलो हठ पकड्यो - २
म्हाने लाडुडो दिला दे घरनार बालम छोटो सो

लाडूडो दिलासी थारा मायर बाप - २
म्हाने लाजां मत मारो भरतार बालम छोटो सो

खातीडे के जाते जातां ढोलो हठ पकड्यो - २
म्हाने गाडुलो दिला दे घरनार बालम छोटो सो

गाडूलो दिलासी थारा मायर बाप - २
म्हारी छाती मत बालो भरतार बालम छोटो सो

महलां में जातां ढोलो हठ पकड्यो - २
म्हाने गोद'या में उठा ले घरनार बालम छोटो सो

आछी रे परणाई म्हारा मायर बाप - २
म्हारो जोबन ऐड़ो जाय बालम छोटो सो




बुधवार, 9 मार्च 2016

चाल चंदा डागलिये

चाल चंदा डागलिये पे, झीणी झीणी चांदनी - २ 
कोई हिल मिल रास रचावां ऐ फागण में 
थारे सागे कोनी चालूं, ओ रे बालम रसिया - २ 
थे सारी सारी रात जगावो जी फागण में 

थारे थारे खातर ढोला बाग़ लगायो जी 
कोई घुमण के मिस आवो जी फागण में 
चाल चंदा डागलिये पे.......

थारे थारे खातर ढोला थाळ सजायो जी 
कोई जीमण के मिस आज्यो जी फागण में 
चाल चंदा डागलिये पे.......

थारे थारे खातर ढोला सेज बिछायो जी 
कोई ओढन रे मिस आवो जी फागण में 
चाल चंदा डागलिये पे.......

थारे थारे खातर ढोला सज सिंगारी जी 
कोई निरखण के मिस आज्यो जी फागण में 
चाल चंदा डागलिये पे.......
आपां प्रीत रंग, रंग जास्या ऐ फागण में 





शुक्रवार, 4 मार्च 2016

और रंग दे

और रंग दे रे म्हाने ओजू रंग दे
म्हारा सासु जी के दाय कोनी आई रे नीलगर और रंग दे

अल्ला पल्ला पे दादर मोर रंग दे
घूँघट पर बाईसा रो बीरो रे, नीलगर और रंग दे 

सुसरो जी रंगाई म्हारे लाल ओढ़नी
म्हारा सासुजी के दाय कोनी आई रे नीलगर और रंग दे

जेठजी रंगायो म्हारे पीळो कोमचो
म्हारा जेठानी के दाय कोनी आई रे नीलगर और रंग दे

देवरियो रंगाई म्हारे लाल चुनड़ी
म्हारा सायब जी के दाय कोनी आई रे नीलगर और रंग दे

मिसरी को बाग़ लगा दे रसिया

मिसरी को बाग़ लगा दे रसिया
नीम की निम्बोली म्हाने खारी लागे
खारी लागे म्हाने खारी लागे
नीम की निम्बोली म्हाने खारी लागे

रंग रंगीला म्हारा साहेब थे तो
थांकी सांवली सूरत मतवाली लागे
नीम की निम्बोली म्हाने खारी लागे

सामली पड़ौसन तीखो सुरमो सारे
ठुमका करती छम छम चाले
बा तो फुट्योड़ी सी म्हाने इक झारी लागे
उजड़ी सी म्हाने इक क्यारी लागे
मिसरी को बाग़ लगा दे रसिया
नीम की निम्बोली म्हाने खारी लागे

थे भी तो बीने लुक छिप ताको
खिड़की खोलो झुक झुक ताको
म्हाने सामली पड़ोसन कामणकारी लागे
नीम की निम्बोली म्हाने खारी लागे

म्हे साहेब थाने लागूं हूँ पुराणी
इसी बातां मत कर सुण ले ऐ स्याणी
तू तो म्हाने रूप की धिराणी लागे
प्यारी प्यारी म्हारी घरआली लागे
मिसरी को बाग़ लगासा गोरिये,
नीम की निम्बोली थाने खारी लागे,

मिसरी को बाग़ लगा दे रसिया
नीम की निम्बोली म्हाने खारी लागे




कठे सूं आई सूंठ

कठे सूं आई सूंठ, कठे सूं आयो जीरो
कठे से आयो रे, भोली बाई थारो बीरो

जयपुर से आई सूंठ, दिल्ली से आयो जीरो
कलकत्ते से आयो, प्यारी भाबद म्हारो बीरो

या क्या में आई सूंठ, काहे में आयो जीरो
काहे में आयो रे भोली बाई थारो बीरो

गाड़ी में आई सूंठ, ऊँटा से आयो जीरो
रैलां में आयो प्यारी भाबद म्हारो बीरो

खिंड गई सूंठ बिखर गयो जीरो
ओ रूठ गयो ऐ प्यारी भाबद म्हारो बीरो

मैं चुग लेसा सूंठ पछाड़ लेस्या जीरो
मनाय लेस्या ए भोली भाई थारो बीरो

काहे में चाहे सूंठ, काहे में चाहे जीरो
काहे में चाहीजे प्यारी भाबद म्हारो बीरो

जापे में चाहे सूंठ, रसोया चाहे जीरो
महलां में चाहिजे भोली भाई थारो बीरो
सेजां पे चाहिजे भोली भाई थारो बीरो