शुक्रवार, 4 मार्च 2016

मिसरी को बाग़ लगा दे रसिया

मिसरी को बाग़ लगा दे रसिया
नीम की निम्बोली म्हाने खारी लागे
खारी लागे म्हाने खारी लागे
नीम की निम्बोली म्हाने खारी लागे

रंग रंगीला म्हारा साहेब थे तो
थांकी सांवली सूरत मतवाली लागे
नीम की निम्बोली म्हाने खारी लागे

सामली पड़ौसन तीखो सुरमो सारे
ठुमका करती छम छम चाले
बा तो फुट्योड़ी सी म्हाने इक झारी लागे
उजड़ी सी म्हाने इक क्यारी लागे
मिसरी को बाग़ लगा दे रसिया
नीम की निम्बोली म्हाने खारी लागे

थे भी तो बीने लुक छिप ताको
खिड़की खोलो झुक झुक ताको
म्हाने सामली पड़ोसन कामणकारी लागे
नीम की निम्बोली म्हाने खारी लागे

म्हे साहेब थाने लागूं हूँ पुराणी
इसी बातां मत कर सुण ले ऐ स्याणी
तू तो म्हाने रूप की धिराणी लागे
प्यारी प्यारी म्हारी घरआली लागे
मिसरी को बाग़ लगासा गोरिये,
नीम की निम्बोली थाने खारी लागे,

मिसरी को बाग़ लगा दे रसिया
नीम की निम्बोली म्हाने खारी लागे




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