शुक्रवार, 4 मार्च 2016

कठे सूं आई सूंठ

कठे सूं आई सूंठ, कठे सूं आयो जीरो
कठे से आयो रे, भोली बाई थारो बीरो

जयपुर से आई सूंठ, दिल्ली से आयो जीरो
कलकत्ते से आयो, प्यारी भाबद म्हारो बीरो

या क्या में आई सूंठ, काहे में आयो जीरो
काहे में आयो रे भोली बाई थारो बीरो

गाड़ी में आई सूंठ, ऊँटा से आयो जीरो
रैलां में आयो प्यारी भाबद म्हारो बीरो

खिंड गई सूंठ बिखर गयो जीरो
ओ रूठ गयो ऐ प्यारी भाबद म्हारो बीरो

मैं चुग लेसा सूंठ पछाड़ लेस्या जीरो
मनाय लेस्या ए भोली भाई थारो बीरो

काहे में चाहे सूंठ, काहे में चाहे जीरो
काहे में चाहीजे प्यारी भाबद म्हारो बीरो

जापे में चाहे सूंठ, रसोया चाहे जीरो
महलां में चाहिजे भोली भाई थारो बीरो
सेजां पे चाहिजे भोली भाई थारो बीरो

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