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रविवार, 17 अप्रैल 2016

मोरिया आछो बोल्यो रे

मोरिया आछो बोल्यो रे ढळती रात में - २
म्हारे हिवड़े में बहगी रे कटार
मोरिया आछो बोल्यो रे ढळती रात में

डावडी मैं तो बोल्यो रे म्हारी मौज में
थारे किण विध बहगी रे कटार डावडी
मैं तो बोल्यो रे म्हारी मौज में

मोरिया पीहू पीहू की वाणी छोड़ दे
म्हारा पीव जी बसे परदेस मोरिया
पीहू पीहू की वाणी छोड़ दे

डावडी पीहू पीहू की वाणी बोल स्यूं
म्हारे मौज उठे दिन रात डावडी
पीहू पीहू की वाणी बोल स्यूं

मोरिया थारे बागां में काई काई नीपजे
ज्यां में आवे रे, सुगन्धि बास मोरिया
थारे बागां में काई काई नीपजे

मोरनी, म्हारे बागां में मरवो कवडो
जीकी आवे रे, सुगन्धि बास मोरनी
म्हारे बागां में मरवो कवडो