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शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

Badan Mharo Najuk

" सासु बोली बिंदनी, तू पानी भरबा जाय 
  दो घड़ा दूँ शीश पे, म्हारी पतली कमर लुळ जाय "

बदन म्हारो नाजुक, घड़ले में बोझ भारी 
म्हे हलवा हलवा चालूं ऐ, दरद की मारी 
दरद की मारी - २ , मैं धीमे धीमे चालूं दरद की मारी 

 " चुड़लो लाया पिंवजी, तो पैरयो कलाई मांय 
   खन खन बाजे चुड़लो, मन मेरो मुसकाय "

पर कुंचो म्हारो पतलो , चुडले में बोझ भारी 
म्हे हलवा हलवा चालूं ऐ, दरद की मारी 
दरद की मारी - २ , मैं धीमे धीमे चालूं दरद की मारी

  " सुसरो जी सोजत गया, तो मेहँदी दीनी ल्याय 
    हाथ्यां मेहँदी राचणी, म्हारी सासु सुगन मनाय "

म्हाने मेहंदी लागे प्यारी, माने ना सासु म्हारी 
फीकी पड़ जावे मेहन्दी, मैं विनती कर कर हारी 
माने ना सासु म्हारी, मैं विनती कर कर हारी