शनिवार, 5 मार्च 2016

Dharti Dhora Rii


आ धरती गोरा धोरां री
आ धरती मीठा बोरां री
ई धरती रो रुतबो ऊँचो
आ बात केवे कूंचो कूंचो 

आ तो सरगां ने सरमावे, ई पर देव रमण ने आवे
ई'रो जस नर नारी गावे, धरती धोरां री - 2

सूरज कण कण ने चमकावे - २
चंदो इमरत रस बरसावे
तारा निछरावल कर जावे, धरती धोरां री
काळा बादलिया घहरावे
बिरखा घुघरिया घमकावे  
बिजली डरती ओला खावे, धरती धोरां री

लुळ लुळ बाजरियो लहरावे 
मक्की झा'लो देर बुलावे 
कुदरत दोन्यू हाथ लुटावे, धरती धोरां री
पंछी मधरा मधरा बोले 
मिसरी मीठे सुर स्यूं घोळे, 
झीणो बायरियो पंपोळे, धरती धोरां री

ई'रो चित्तोड़ो गढ़ लूंठो 
ओ तो रणवीरां रो खूंटो 
ई रे जोधाणु नौ कुंटो, धरती धोरां री
जयपुर नगरियाँ री पटरानी 
कोटा बूंदी कद अंजाणी
चम्बल केवे आ'री कहानी, धरती धोरां री

ई पर तनड़ो मनड़ो वारां 
ई पर जीवन प्राण उवारां 
इ'रि ध्वजा उड़े गिगनारा, धरती धोरां री
ई'री सच री आन निभावां 
ई'रे पथ ने नहीं लजावां 
ई'ने माथो भेंट चढ़ावां, धरती धोरां री

आ तो सरगां ने सरमावे, ई पर देव रमण ने आवे
ई'रो जस नर नारी गावे, धरती धोरां री - 2










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