तर्ज : मेरे रश्के कमर
आई फागण की शाम, सब छोड़ो थे काम
म्हारे गाणा सूं ले लो थे म्हारो सलाम
टाबरिया सुणो, म्हारा भाई सुणो - २
म्हारे भाई री प्यारी लुगाई सुणो
माथा फोड़ी थे दुनिया री भूलो तमाम
म्हारे गाणा सूं ले लो थे म्हारो सलाम
जळ जमना सुणो, देवरियो सुणो - २
धरती धोरां री या फिर डागलियो सुणो
सुणलो जो भी सुणना चावो थे श्रीमान
म्हारे गाणा सूं ले लो थे म्हारो सलाम
इक तो गाणा रो रंग, दूजो पी लो थे भंग - २
थाप्या देय थे तो बजा लेवो चंग
महसूस होवेला थाने दुसरो ही धाम
म्हारे गाणा सूं ले लो थे म्हारो सलाम
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