शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

Badan Mharo Najuk

" सासु बोली बिंदनी, तू पानी भरबा जाय 
  दो घड़ा दूँ शीश पे, म्हारी पतली कमर लुळ जाय "

बदन म्हारो नाजुक, घड़ले में बोझ भारी 
म्हे हलवा हलवा चालूं ऐ, दरद की मारी 
दरद की मारी - २ , मैं धीमे धीमे चालूं दरद की मारी 

 " चुड़लो लाया पिंवजी, तो पैरयो कलाई मांय 
   खन खन बाजे चुड़लो, मन मेरो मुसकाय "

पर कुंचो म्हारो पतलो , चुडले में बोझ भारी 
म्हे हलवा हलवा चालूं ऐ, दरद की मारी 
दरद की मारी - २ , मैं धीमे धीमे चालूं दरद की मारी

  " सुसरो जी सोजत गया, तो मेहँदी दीनी ल्याय 
    हाथ्यां मेहँदी राचणी, म्हारी सासु सुगन मनाय "

म्हाने मेहंदी लागे प्यारी, माने ना सासु म्हारी 
फीकी पड़ जावे मेहन्दी, मैं विनती कर कर हारी 
माने ना सासु म्हारी, मैं विनती कर कर हारी 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपके गीत बहुत अच्छे है पर आप बहुत से गीतों में तर्ज़ नही लिखते हो। कृपया तर्ज़ लिखा करो।

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  2. आपके गीत बहुत अच्छे लगते हैं आपका संगीत बहुत बढ़िया है आपके पास गायिका भी बहुत अच्छी है लेकिन आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है कि आज की नई युवक और राजस्थान के लोगों को राजस्थान की संस्कृति का ज्ञान धीरे-धीरे समझ में काम आ रहा है क्योंकि इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई होने के कारण आज के युवक को राजस्थानी शब्दों का अर्थ समझ में नहीं आ रहा है करण की करने की धुन तो समझ में आती है आपके प्रत्येक गीत का अर्थ और भावार्थ बताना चाहिए और जब गाना स्क्रीन पर चलता है तो गाने की लाइन भी चलनी चाहिए जिससे श्रोता गाने को पढ़ कर भी अर्थ समझने की कोशिश करेगा इससे राजस्थानी गीत ज्यादा समझ में आने लगेगा और आज की पद को राजस्थान की भाषा पसंद आने लगेगी और उसकी और आकर्षित होने लगेगी जिससे राजस्थानी भाषा लुप्त नहीं होगी

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