मैं तो पाणी लेने गई मेरा श्याम
मरद चाले अड़-अड़ के
आ तो कुणसे मरद की है नार
कि झाला देवे बे-धड़के
गाल गुलाबी, होठ रसीला, झीणो सुरमो सार
पाणी भरवा नीसरी , निरख रह्या मोट्यार
थारी गोरी कलाई पणिहार कि हरी हरी चूड़ी छनके
आ तो कुणसे मरद की है नार
कि झाला देवे बे-धड़के
नाजुक बदन म्हारी पतली कमरिया
सिर पर दो घड़ भारी
बलम बिना म्हारो फागण सूनो
मैं जोबण की मारी
मैं तो परदेशी की नार, मिलण ने मन तरसे
मैं तो पाणी लेने गई मेरा श्याम
मरद चाले अड़-अड़ के
मरद चाले अड़-अड़ के
आ तो कुणसे मरद की है नार
कि झाला देवे बे-धड़के
गाल गुलाबी, होठ रसीला, झीणो सुरमो सार
पाणी भरवा नीसरी , निरख रह्या मोट्यार
थारी गोरी कलाई पणिहार कि हरी हरी चूड़ी छनके
आ तो कुणसे मरद की है नार
कि झाला देवे बे-धड़के
नाजुक बदन म्हारी पतली कमरिया
सिर पर दो घड़ भारी
बलम बिना म्हारो फागण सूनो
मैं जोबण की मारी
मैं तो परदेशी की नार, मिलण ने मन तरसे
मैं तो पाणी लेने गई मेरा श्याम
मरद चाले अड़-अड़ के
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